लोग अपनी ज़िन्दगी अलग अलग तरह से जीते हैं. लेकिन एक तरह से जीने के बाद उनकी ख्वाहिश यही रह जाती है कि वे ज़िन्दगी दूसरी तरह से नहीं जी पाये. मसलन (उदाहरणतः) कोई व्यक्ति टेलेंटेड है, मसलन पढ़ाई में, वो ज़िन्दगी पढ़ पढ़ कर निकाल देता है और फिर बाद में ये सोचता है कि उसको ज़िन्दगी में खेल कूद में भी हिस्सा लेना चाहिए था. पर वो यही सोच कर बैठ जाता है कि अब कर भी क्या सकते हैं. आप कुछ भी कर लें ज़िन्दगी में हमेशा कुछ न कुछ छूट ही जाएगा. लेकिन मैंने अपनी ज़िन्दगी हर तरह से जी ली. इसलिए मुझे किसी बात का दुःख नहीं है. मैं पहले पढ़ने में काफी अच्छा हुआ करता था और अपना ज़्यादातर समय पढ़ाई में ही निकाल देता था. लेकिन बाद में मैंने अपनी ज़िन्दगी अलग तरह से जीनी स्टार्ट की. मैं बाकी बच्चों की तरह लोफरगिरी करने लगा. लेकिन बाद में अहसास हुआ कि पहली वाली लाइफ मुझे ज़यादा सूट करती थी. लेकिन अब काफी देर हो चुकी थी. न मैं पहले जैसा बन सकता था और न ही अब जैसे जी रहा था, वैसे जी पा रहा था. "दूसरों के जैसा बनने कि चाहत में न मैं उनके जैसा बन पाया और खुद को भी खो दिया". अंत में मैं केवल इतना ही कहना चाहता हूँ कि आप जैसे भी हैं बढ़िया हैं.
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