Sunday, July 10, 2011

Shopkeepers not giving change

आज मैं बेहद ही महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करने जा रहा हूँ. जेसा कि आप सब जानते हैं कि जब भी आप कहीं खरीददारी करने जाते हैं चाहे कितने भी रुपयों की, तब आपको चेंज में जो पेसे बचते हैं जेसे कि एक या पांच रूपये तब ज्यादातर आपको चेंज नहीं मिलता. और वो दुकानदार हमारे पेसे खा जाते हैं. और यदि हम उनके रूपये रख ले तो! अब तो हमें हमेशा साथ में चेंज लेकर ही चलना पड़ा करेगा. नहीं तो ये दुकानदार मन माफिक रूपये खा जाया करेंगे. चलो मैं अपने साथ घटित एक घटना बताता हूँ. एक बार मैं स्कूल बस कि फीस भरने गया था. तब मेरे पास २३० रूपये थे. और फीस थी २२५. तो मेने फीस कलेक्टर को २३० रूपये दिए पर उन्होंने मुझे वापस ५ रूपये नहीं दिए. जब मेने चेंज के लिए पूछा तब उन्होंने कह दिया कि उनके पास ५ रूपये नहीं हैं. अब आप ही बताओ कि क्या उनके पास ५ रूपये भी नहीं होंगे. इतने सारे बच्चे फीस जमा करते हैं तो किसी न किसी ने तो ५ रूपये दिए ही होंगे. तो भाइयों आज से या तो चेंज लेकर चलो या दुकानदारो को रूपये खिलाओ.


आज मैं अपना ब्लॉग यही ख़तम करता हूँ. बाय.

Sunday, June 12, 2011

Cycle

मेरी छुट्टियाँ चल रही हैं और बड़े भाई साहब भी दिल्ली गए हुए हैं. तो पिताजी मुझे २-३ घंटे के लिए दुकान पर बुला लेते हैं. एक दिन मैं दूकान पर बता हुआ था. और दुकान से बहार देख रहा था. तो मेने गौर किया कि अब हमारी दुनिया में बहुत कम लोग ही पैदल चलते हैं. पर मुझे इस बात की भी उतनी ही ख़ुशी हुई कि जो लोग किसी साधन से चलते हैं उनमें साइकल का इस्तेमाल ज्यादा होता है. मुझे ख़ुशी इसलिए हुई क्योंकि साइकिल से समय की बचत और प्रदूषण कम होता है. मैं चाहता हूँ कि सारी दुनिया साइकिल का इस्तेमाल करे पर ऐसा संभव नहीं है क्योंकि किसी दूर स्थल पर जाने के लिए तो ज्यादा गति वाले साधनों कि आवश्यकता पड़ेगी ही. लेकिन फिर भी हम साइकिल का इस्तेमाल कर सकते हैं जहाँ जहाँ इसका इस्तेमाल किया जा सके. साइकिल का सबसे बड़ा लाभ यह भी है कि यह सस्ती होती है और साधनों से.

तो भाइयों मेरी आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जहाँ साइकिल का इस्तेमाल किया जा सके वहां उसे इस्तेमाल करो.